स्वाध्याय से ही जीवन परिवर्तन होता है:-साध्वी श्री प्रतीक्षा श्री जी महाराज साहब
खिरकिया हरदा से संवाददाता संजय नामदेव की रिपोर्ट
खिरकिया:-खिरकिया समता भवन में विराजित शासन दीपिका श्री दर्शना श्री जी महाराज साहब, श्री रिद्धि प्रभा जी महाराज एवं श्री प्रतीक्षा श्री जी महाराज साहब आदि ठाणा 3 के सानिध्य में श्रद्धाशील उपासक जिनवाणी का अमृत रस पान का लाभ ले रहे हैं। आज दिनांक 20/08/2022 को खिरकिया कुल दीपिका श्री प्रतीक्षा श्री जी महाराज साहब ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि- वैराग्य को स्थिर रखने के लिए साधक को अधिकतम समय स्वाध्याय में रत रहना चाहिए। स्वाध्याय साधुओं और श्रावकों दोनों के लिए परम आवश्यक है ।स्वाध्याय का शाब्दिक अर्थ है -स्वयं का अध्ययन करना ।आगमो का अध्ययन, श्रवण, चिंतन, मनन करना भी स्वाध्याय कहलाता है। स्वाध्याय से व्यक्ति का जीवन परिवर्तन होता है ।सुखी जीवन जीने के लिए सत्संग और स्वाध्याय आधार स्तंभ है । सत्संग से ही स्वाध्याय की भावना जागृत होती है ।स्वाध्याय से ही व्यक्ति का जीवन ,व्यवहार ,सोच और स्वभाव बदलता है। स्वाध्याय से जीवन में समता का संचार ,संतोष की अभिवृद्धि, वास्तविक शांति की प्राप्ति तथा सच्चे सुख का अनुभव होता है । स्वाध्याय के अभाव में तृष्णा बढ़ती है। तृष्णा के बढ़ने से व्यक्ति को अशांति ही मिलती है ।स्वाध्याय एक ऐसा तप है जिससे ज्ञानावरणीय कर्म नष्ट होता है और कर्मों की निर्जरा भी होती है । स्वाध्याय के पांच भेद है वाचना, पृच्छा, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्म कथा। स्वाध्याय करते समय यतना विवेक और विनय आवश्यक है। स्वाध्याय से ही हर समस्या का समाधान संभव है ।स्वाध्याय के द्वारा आत्म स्वरूप को जाना जा सकता है अतः हमें स्वयं का आत्मचिंतन करना चाहिए। इसके पूर्व उन्होंने कहा कि- तीर्थंकर भगवान के 34 अतिशय होते हैं। उनमें से चार अतिशय उन्हें जन्म से ही प्राप्त रहते हैं। पहला- तीर्थंकर भगवान के शरीर से पसीना नहीं आता है ।दूसरा -तीर्थंकर भगवान माता का स्तनपान नहीं करते हैं ।तीसरा- तीर्थंकर भगवान के शरीर का रक्त और मांस दूध के समान सफेद होता है। चौथा- तीर्थंकर भगवान के श्वासोच्छवास से सुगंध आती है। महाराज साहब के दर्शन सानिध्य का लाभ लेने कसरावद से ममता मांडोत,पारस खटोड़ मनावर,राजकुमारी दर्डा जलगांव, चारुवा,सांवेर आदि सैकड़ों श्रावक श्राविका एवम सत्संग प्रेमीउपस्थित थे महाराज साहब की प्रेरणा से आज 19 उपवास के प्रत्यख्यान दृढ़ मनोबल का परिचय देंते हुए शालू भंडारी ने ग्रहण किए।कल 21 तारीख रविवार को आचार्य प्रवर श्री रामलालजी म. सा.द्वारा पूरे देश को ए_वन_9 का आयाम दिया।तात्पर्य है की 9 नवकार महामंत्र की आराधना के साथ,9 आयटम की मर्यादा के साथ,9 मिनिट में एक आसन पर बैठकर आहार करना आज सूर्यास्त के पश्चात न तो आहार लेना न पानी पीना कल सूर्योदय के 48 मिनिट पश्चात एवम सूर्यास्त के बीच गर्म पानी बार बार पिया जा सकता किंतु आहार 1 बार ही करना। मतलब 36 घंटे में 1 बार आहार करने की विधि को एकासना तप कहा जाता है।इस तप के लाभार्थी सुमित अशोक सांड परिवार खिरकिया रहेंगे।
स्वाध्याय से ही जीवन परिवर्तन होता है:-साध्वी श्री प्रतीक्षा श्री जी महाराज साहब
Reviewed by dainik madhur india
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3:38 AM
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