कुल्हाड़ीघाट के आदिवासी परिवार आज भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं मामूली पेट दर्द में छुरा स्थित निजी अस्पताल में किया गया था ऑपरेशन के दौरान हुई थी मौत न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है परिवार

कुल्हाड़ीघाट के आदिवासी परिवार आज भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं  

मामूली पेट दर्द में छुरा स्थित निजी अस्पताल में किया गया था ऑपरेशन के दौरान हुई थी मौत

न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है परिवार

मधुर इंडिया न्यूज़ 
रिपोर्टर राधेश्याम यादव




गरियाबंद:-  गरियाबंद जिले के ब्लॉक मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर बीहड़ वनांचल क्षेत्र ग्राम कुल्हाड़ीघाट में मामूली पेट दर्द से पीड़ित महिला की बच्चेदानी का ऑपरेशन छुरा के निजी अस्पताल में किया गया ।जिसकी कुछ दिन बाद मौत हो गई महिला के साथ हुई बेदर्द घटना के बाद उनके परिजनों न्याय की आस में कलेक्टर दफ्तर चक्कर काट काट कर थक चुके हैं मगर आज तलक उन्हें न्याय नहीं मिला है। मृतक महिला के परिजन न्याय की गुहार को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। बता दें कि विकासखंड छुरा स्थित लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल  जहां आदिवासी महिला की सर्जरी तो अनुभवी डॉक्टर के द्वारा किया गया लेकिन अस्पताल के गैर जिम्मेदाराना  देखभाल ने मरीज को मौत के मुंह में धकेल दिया प्राप्त जानकारी के अनुसार मामूली पेट दर्द के चलते  राजीवगांधी गोद ग्राम कुल्हाड़ीघाट गेंदु बाई मरकाम पति भागीरथी मरकाम 35 वर्षी आदिवासी महिला को छुरा स्थित लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल में विगत दिनांक 10 अप्रैल को दाखिल किया गया था चिकित्सकों द्वारा सफल इलाज का आश्वासन दिया गया मरीज  गेंदुबाई मरकाम को 11 अप्रैल को सीटी स्कैन हेतु राजीम के डायग्नोसिस सेंटर में ले जाया गया सीटी स्कैन के बाद लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल संचालक व चिकित्सकों के द्वारा मरीज के परिजनों को कहा गया कि मरीज को बच्चेदानी का कैंसर है इनका सर्जरी करना पड़ेगा नहीं तो मरीज की जान को खतरा है कहते हुए मरीज गेंदुबाई मरकाम को सर्जरी कर दिया गया सर्जरी के पश्चात मरीज को तीन दिन  लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल में रखा गया फिर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया भारती से लेकर ऑपरेशन तक की प्रक्रिया केवल 3 दिन में ही पूरी कर ली गई और उन्हें कुल 3 दिनों के उपरांत डिस्चार्ज भी कर दिया गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि इलाज से कुछ प्रोग्रेस नहीं होने की वजह से लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल के संचालक मरीज के परिजनों द्वारा संपर्क करने पर मरीज को रायपुर ले जाओ ऐसा कहते हुए रायपुर स्थित नानक हॉस्पिटल में  दाखिल किया गया फिर वहीं से प्रोग्रेस सिटी स्कैन फिर जांच फिर डिस्चार्ज का सिलसिला चलते 
गया मरीज को नई-नई समस्याएं शुरू हो गई जिसके चलते कई बार मरीज को डॉक्टर के द्वारा पेट को खोला गया और अलग-अलग सर्जरी की गई इस दौरान कई अलग-अलग अस्पतालों जैसे महासमुंद खरोरा रायपुर मरीज को इसी हालत में भेजा जाता रहा इस बार बार की चिकित्सक लापरवाही पूर्वक देखभाल के चलते संक्रमण फैलता गया अंततः आदिवासी महिला को इसकी लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी ज्ञात हो कि मृतक का पति भागीरथी मरकाम वाहन चालक है जिनके दो पुत्र और एक पुत्री गजेंद्र मरकाम 19 वर्ष कुमारी अनिल मरकाम 14 वर्ष कुबेर मरकाम 8 वर्ष के हैं । जो आज परिवार की एक हिस्सा खत्म हो जाने के बाद निसहाय जीवन जीने को मजबूर है।



आयुष्मान कार्ड  सहित फोन पे के माध्यम से लगातार अस्पताल प्रबंधन पैसा लेता रहा

लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड के अलावा फोन पर व नगद जमा किया गया  11 अप्रैल को लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को फोन पे पर  40000 सीटी स्कैन राजीव 4500 रुपए और 12 अप्रैल को फोन पेपर ₹20000 15 अप्रैल को ₹7000 नगद काउंटर में जमा किया गया 18 अप्रैल को 6500 जमा किया गया नानक हॉस्पिटल में फोन पर वह नगद जमा किया गया 2 अप्रैल को 5000 नगद जमा हुआ 8000 फोन पे 4 मई को 10000 नगद जमा 6 मई को 10000 नगद सिटी स्कैन भवानी डायग्नोसिस सेंटर रायपुर को 6000 रुपया नगद जमा 2 मई को आयुष्मान कार्ड से डीडक्तट कर डिटेल्स 32000  रुपए और 60000 नगद भुगतान किया गया इस तरह से परिवार के द्वारा लगभग ढाई लाख रुपए तक उस लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को नगद राशि जमा की गई बावजूद इसके इलाज में लापरवाही देखी गई और अंततः मरीज की जान चली गई।

 प्राय यह  देखने में आया है कि आयुष्मान कार्ड गरीबों के लिए लोगों को यह अस्पताल टारगेट करते हैं और उन्हें उनके कार्ड से जांच चिकित्सा सर्जरी के नाम पर लाखों रुपए निकाल लेते हैं ।

परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप कुछ उच्चस्तरीय इलाज के नाम पर रायपुर ले गए 

महिला को  राहत नहीं मिलने  लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल के संचालक व चिकित्सक ने उसे इलाज के लिए के नाम पर रायपुर हॉस्पिटल में भर्ती कराया यहां भी लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल के संचालक उच्च इलाज के  नाम पर रायपुर नानक हॉस्पिटल में भर्ती कराया यहां भी जांच सिटी स्कैन डिस्चार्ज का सिलसिला चला परिजन ने आरोप लगाया की हड्डी रोग विशेषज्ञ ने महिला का ऑपरेशन किया गया।

पूरी जांच के बाद  ऑपरेशन की गाइडलाइन 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिस्टरेक्टमी के लिए गाइडलाइन बनी। अब 40 साल से कम की महिला का यूट्रस निकालन पहले उसकी पूरी जांच होगी। जिले में एक मॉनिटरिंग कमिटी होगी, जो देखेगी कि वाकई महिला को ऑपरेशन की जरूरत है या नहीं। हिस्टरेक्टमी का हर केस दर्ज होगा। जिसमें महिलाओं की उम्र गर्भाशय निकालने की वजह हॉस्पिटल की जानकारी होगी।

परिजनों के शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को किया था सील

आदिवासी महिला गेंदुबाई की इलाज के दौरान मौत के बाद छुरा स्थित निजी अस्पताल  को द्वारा परिजनों के शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने सील कर दिया था जिला प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए सीएमएचओ द्वारा जांच टीम गठित किया गया था जांच में प्रथम दृष्टि में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई थी जिस पर लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल संचालक छुरा को नोटिस जारी कर किया था जारी नोटिस में समय अवधि समाप्त होने के बाद संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा निजी अस्पताल को सील बंद करने का आदेश जारी कर अस्पताल को सील कर दिया गया।


यही नहीं आदिवासी महिला के मौत के बाद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में बड़ी कार्रवाई करते हुए लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को सील कर दिया अस्पताल में महिला के पेट का ऑपरेशन किया गया था जिसके बाद महिला की मौत हो गई इस मामले में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है।

पीड़ित परिवार ने महिला की मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए डॉक्टर पर ऑपरेशन के दौरान गड़बड़ी करने के आरोप लगाए हैं परिजनों ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर के पास जाकर की जिसके बाद प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए अन्य एडमिट मरीजों को जिला अस्पताल शिफ्ट करके लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को सील कर दिया वहीं मृत आदिवासी महिला को  ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक के खिलाफ भी कार्यवाही करने की तैयारी में थी । प्राथमिक तौर पर कार्यवाही तो की गई मगर आज तक जिन परिवार की मां और उनको बच्चों को अब तक इंसाफ नहीं मिल पाया है न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं मगर न्याय नहीं मिल पा रहा है अस्पताल प्रबंधन को न्याय तो मिल गया है अस्पताल खुला भी गई है अस्पताल में इलाज जारी भी है मगर इन गरीब परिवारों को कब तक इंसाफ मिलेगा जिसकी राह तक रहे कुल्हाड़ी घाट के गेंदु बाई के परिवार। अब जिले में नए कलेक्टर के आने से एक नई उम्मीद इन परिवारों को लगी है कि कि जिस तरह से लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को इंसाफ तो मिल गया मगर इन गरीब परिवार को अब तक इंसाफ नहीं मिला है।
कुल्हाड़ीघाट के आदिवासी परिवार आज भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं मामूली पेट दर्द में छुरा स्थित निजी अस्पताल में किया गया था ऑपरेशन के दौरान हुई थी मौत न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है परिवार कुल्हाड़ीघाट के आदिवासी परिवार आज भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं    मामूली पेट दर्द में छुरा स्थित निजी अस्पताल में किया गया था ऑपरेशन के दौरान हुई थी मौत  न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है परिवार Reviewed by dainik madhur india on 9:43 AM Rating: 5

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