अनसर काल में श्री जगन्नाथ जी की विशेष पूजा अर्चना
जंगलों से चुनकर विशेष वनौषधि से महाप्रभु का उपचार
मधुर इंडिया न्यूज़
रिपोर्टर राधेश्याम यादव
अमलीपदर - धर्म नगरी ग्राम अमलीपदर में विराजमान दारु ब्रह्म श्री जगन्नाथ जी के श्रीमंदिर में देवस्नान पर्व में दिव्य देव स्नान के पश्चात श्री महाबाहु का प्रंदह दिवस तक स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता क्योंकि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का ताप स्वयं भगवान अपने उपर लेते हैं और श्री जगन्नाथ कथा अनुसार भक्त माधवदास का भी रोग को अपने में भगवान श्री जगन्नाथ जी अपने उपर ले लिए इसी प्रकार यह परम्परा चली आ रही है कि अमलीपदर में विराजमान श्री सिद्ध कालिया महाबाहु का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने कारण विशेष जड़ी बूटियों द्वारा उपचार किया जाता है
रथयात्रा के एक दिवस पुर्व भगवान श्री जगन्नाथ स्वस्थ होकर के श्री मंदिर में विराजित हो करके रथ यात्रा को गुंडीचा मंदिर के लिए प्रस्थान करते हैंऔर इस अनसर काल में श्री मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित युवराज पांडे जी द्वारा प्रेस वार्ता में बताया कि इस समय 15 दिवस में श्री महाप्रभु का दर्शन आम भक्तों को उपलब्ध नहीं होता महाताप ज्वर के समय जंगलों से चुनकर कुछ विशेष वनोषधियो से इन दिनों में उपचार किया जाता है इन्हीं ओषधियो से महाप्रभु का विशेष पूजा अर्चना किया जाता है। जिसमें भगवान को रात्रि काल में संध्या काल में भगवान का दिव्य जड़ी बूटियों से उपचार किया जाता है एवं काढ़ा का रसपान भी जगन्नाथ जी को दिया जाता है।
जिसमें संध्याकालीन में भगवान को गर्म पट्टी में दिव्य जड़ी-बूटी डाल कर के भगवान का लेपन नीम हल्दी से भगवान का कुनकुने पानी से स्नान आदि विविध जड़ी बूटियों से भगवान का उपचार किया जाता है। जिसमें श्री मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित युवराज पांडेय जी अपने मंदिर के मुख्य सेवकों के साथ जंगलों में जा करके स्वयं चुन करके दिव्य जड़ी बूटी ला करके महाप्रभु का उपचार करते हैं।
अनसर काल में श्री जगन्नाथ जी की विशेष पूजा अर्चना जंगलों से चुनकर विशेष वनौषधि से महाप्रभु का उपचार
Reviewed by dainik madhur india
on
8:09 AM
Rating:

No comments: