राखड़ से अटी पड़ी है, पोरथा की धरती* *जिम्मेदार कौन शासन, प्रशासन या जनता

*राखड़ से अटी पड़ी है, पोरथा की धरती*

*जिम्मेदार कौन शासन, प्रशासन या जनता*

राष्ट्रीय दैनिक मधुर इंडिया। स्टेट क्राइम रिपोर्टर छत्तीसगढ़ नारायण राठौर।




सक्ती/- सक्ती शहर से  महज 2 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत पोरथा स्थित है। जो राजनीतिक गढ़ के रूप में जाना जाता है स्थानीय विधायक चुनाव में इस ग्राम पंचायत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह ग्राम शहर से लगे होने के कारण इस ग्राम पंचायत की जमीन की कीमत भी सक्ती के जमीन से कोई कम नहीं है। शहर से कॉफी नजदीक होने की कारण यहां की जमीन हमेशा लोगों के पहली पसंद में सुमार होती है गौरतलब है की यहां की जमीन शहर के पास होने के साथ साथ उपजाऊ भी है। किंतु नेशनल हाईवे के गुजरने के कारण यहां की धरती धीरे-धीरे अपना उपजाऊ पन भी खोते जा रहा है। क्योंकि हाईवे के अगल-बगल राखड़ का पटाव इतना अधिक हो चुका है, जो पानी के साथ घुल कर अन्य खेती योग्य जमीनों में जाकर जम जाएगा जिससे अन्य खेत निश्चित रूप से बंजर हो जाएंगे।

*प्रशासन का आना जाना लगा रहता है*

अगर  जिला प्रशासन को सक्ती जिले के शेष क्षेत्र का दौरा करना हुआ तो इसी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है
किंतु रास्ते से गुजरने के बावजूद भी पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से प्रशासन इस प्रकार राखड़ पटाव पर कोई एक्शन नहीं लेती।
 यह अपने आप में एक प्रश्न को जन्म देता है।त

*पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किसके सह पर*

किसी भी क्षेत्र विशेष में राखड़ पटाव से उस क्षेत्र की मिट्टी ,हवा दूषित हो जाती है। किंतु ग्राम पंचायत पोरथा जिला कार्यालय से काफी नजदीक होने के बावजूद भी यहां के संबंध में शासन प्रशासन तथा जनता की उदासीनता भी एक विचारणीय तथ्य है। जिससे यह अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है कि पर्यावरण के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ किसके इशारे पर किया जा रहा है।

*स्थानीय प्रशासन या जनता की संलिप्तता तो नही*

नेशनल हाईवे पर राखड़ का पटाव पर शासन प्रशासन या स्थानीय प्रशासन में से किसी के द्वारा विरोध नहीं किया जाना एक प्रकार की संलिप्तता की ओर इशारा करता है भले ही शासन प्रशासन संलिप्त ना हो तो क्या स्थानीय प्रशासन पर्यावरण को बिगाड़ने में सलिप्त है फिलहाल यह जांच का विषय है बाहर हाल जो भी हो शक्ति शहर से लगे ग्राम पंचायत पोरथा में राखड़ का पटाव पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से रुकना चाहिए ताकि यहां की जमीन और अबोहवा सुरक्षित रह सके।
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