पुलिस के नाक का सवाल बने दर्ज़ अपराधिक मामले पुलिस अधीक्षक हो रहे मर्माहत *दैनिक मधुर इंडिया संवाददाता* *उमरिया* बिरसिंहपुर पाली ----

पुलिस के नाक का सवाल बने दर्ज़  अपराधिक मामले 
पुलिस अधीक्षक हो रहे मर्माहत
*दैनिक मधुर इंडिया संवाददाता*
         *उमरिया*
बिरसिंहपुर पाली ---- 
उमरिया जिले के पाली थाना में दर्ज अपराधिक मामले पुलिस प्रशासन के कार्यशैली पर तीखे सवाल खड़े कर रहे हैं , लेकिन पाली पुलिस बेशर्मी की चादर ओढ़े उसे अपने काली कमाई का जरिया बना रखा है ।पाली थाना में घटित अपराधों और उनकी गुत्थी न सिर्फ सुलझने से जिले के पुलिस कप्तान काफी मर्माहत है और आये दिन पाली थाना के चक्कर लगाते हैं लेकिन थाना में पदस्थ पुलिस अमला अपने मौज मस्ती में मस्त हैं । विदित होवे कि पाली थाना में लगभग आधा दर्जन मामले जिनमें लूट , मारपीट , गुमसुदगी की रिपोर्ट दर्ज होकर एक  वर्ष की ओर बढ़ रहा  है , लेकिन पुलिस को अपने ही कामो से बाहर झांकने की फुर्सत नहीं है ।‌ प्राप्त जानकारी अनुसार इनमें सर्वाधिक पुराना मामला राजेश प्रजापति जिसे पुलिस ने गुमसुदगी दर्ज कर अपने दामन को बचाने का काम की है,  जबकि यह मामला भी अंततोगत्वा ठगी  से  जुड़ा हुआ है ।‌घटना के संबंध में बताया जाता है कि राजेश प्रजापति के एक मित्र को नौकरी लगवाने के नाम पर बारह लाख रुपए राजेश प्रजापति की मां से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा पाली से बारी बारी से जाकर निकलवा कर हड़प लिया, और नौकरी लगवाने के नाम पर 08 अगस्त 2022 को घर से लेकर निकले और राजेश आज तक लौटकर वापस नहीं आया , और   मां को ले जा कर  थाना में गुमसुदी की रिपोर्ट दर्ज करा दी । फरियादया ने पुलिस को असलियत बतलायी , अनपढ़ हरिजन महिला को धोखे में रखकर   पुलिस ने गुमसुदगी कायम कर मामले को सदा के लिए दफन कर दिया । आज मां अनाथ हो गई उसका धन और पुत्र दोनों उसके हाथ से चले गये है ।‌पीडिता ने पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक तक लगातार गुहार लगाते थक गई लेकिन उसे न्याय नहीं मिल पा रहा । ऐसे गंभीर मामलों में जब उलट फेर कर पुलिस अपराधियों को लाभ पहुंचा दो -चार हो जाती है और फरियादी आलाकमान के चौखट में माथा रगड़ने के बाद न्याय न मिल पाने से जन मानस में ऐसी धारणा बलवती हो रही है कि  पुलिस महकमे में बैठे उच्च अधिकारियों का  भी पाली पुलिस के ऊपर नियंत्रण रह नहीं गया ।‌न  जाने पीड़िता को न्याय के लिए और कितना भटकना पड़ेगा ।

 यादव जी के भैंस चोरी का मामला 

पाली थाना में लगभग छः माह पहले झिरिया मोहल्ले से दो नग भैंस चोरी जाने का मामला प्रकाश में आया , फरियादी थाना पाली में जाकर गुहार लगाया । पुलिस हरकत में आई धरती -आसमान एक कर आरोपी की धर पकड़ कर इस नतीजे में पहुंची की भैंस उत्तर प्रदेश में कट गई है , अब क्या किया जाए , पुलिस ने फरियादी को बहला फुसलाकर उसे दो नग भैंस और ब्याज में एक नग गाय दिलवाई गई ।‌ स्वाभाविक है कि भैंस चोर तो कहीं दूसरे की भैंस चुराकर ही देंगा ।‌हुआ भी वही ब्याज मे मिली गाय का मालिक अपने गाय को खोजते हुए गाय के पास आ पहुंचा । अब क्या जिसे  गाय मिली थी वह तो अवाक रह गया और उसे फिर पुलिस की शरण में जाना पड़ा, अंततः उसे गाय लौटानी पडी ।भैंस का फरियादी अभी तो शुक्र मना रहे हैं , लेकिन जिस दिन भैंस मालिक आ पहुंचेगा तब क्या होगा । इस पूरे मामले में आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भैंस चोर के विरूद्ध पशु तस्करी का मामला दर्ज न कर मामले को दबाने में पूरी गणित लगा पशु तस्करी की वारदातों को एक हाथ और बढ़ा दी । प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और उसके अनुषांगिक संगठन पशु तस्करों के विरुद्ध अभियान चला कर ऐसे अपराधों को जड़ मूल से मिटाने की कसम खाते नहीं थकते , और उनके नाक के नीचे यह अपराध फल फूल रहे हैं ।

स्कूटी से पार हुए पांच लाख रुपए के लूटेरे पकड़ से बाहर 


पाली थाना में बीते 11 जनवरी 23 को पुरूषोत्तम कोल निवासी वार्ड नंबर 05 मुडुलूआ के स्कूटी  से नगर के हृदय स्थल बिरासनी माता मंदिर के पास से स्कूटी की डिक्की तोड़कर पांच लाख रुपए लूटेरे चोरी कर फरार हो गए , घटना ‌घटित हुए दो ‌माह पूरे ‌होने को आये  लेकिन  पुलिस को आज तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा । एक तरफ उमरिया जिले के पुलिस कप्तान लूट के ‌आरोपियो‌ को पकड़वाने के लिए ईनाम घोषित कर पांच से दस हजार की घोषणा करते घूम रहे हैं और पाली थाना में लगातार दूसरी  लूट  , कबड्डियो की घटनाएं थाना में बैठे जिम्मेदाराना महकमे को उसकी ताकत का ऐहसास करा दिया ।‌पुलिस की विभागीय व्यवस्था में पुलिस के हौंसले अफजाई के लिए भले ही ईनाम की व्यवस्था समयानुकूल उचित रही हो , लेकिन सिर्फ ईनाम की घोषणा पर अपराधी पकड़े जाने लगे तब तो देश की सुरक्षा तंत्र में दल  बल की जरूरत नहीं पड़ती ।‌मामले के खुलासों के लिए पुलिस की कर्मठता , और ईमानदारी , परख शीलता की जरूरत है । पाली थाना में  बढ़ते अपराधों , अपराधियों  की धरपकड़ न होने की वजह से तिराहे - चौराहे  में यह बात कहते -सुनते   देखा जाता है कि पाली थाना में एक भी अधिकारी नहीं है जिनके बूते इन मामलों का पर्दाफाश हो सके ।
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